Rajasthani Dohe and their Story - राजस्थानी दोहे / दोहा और उनकी कहानी
राजस्थानी दोहे / दोहा सास बहू की कहानी मन मैला तन ऊजळा , बुगला कैसा भेस। इणसूं तो कागा भला , भीतर-बाहर अेक।। ” मन तो मैला है , लेकिन तन उजला है। एकदम बगुले के समान। उसे देख हर कोई भ्रम में पड जाता है। इससे तो कौआ ही भला है , जो भीतर और बाहर से तो एक है। दिखावा तो नहीं करता है। एक स्त्री बड़ी लडाकू हैं। किसी न किसी बात को लेकर वह हर किसी से लड लेती थी। लडऩे की आदत ऐसी पड़ गई थी कि बुढापा आ गया , लेकिन उसकी यह आदत नहीं छूटी।