कछवाह राजवंश की कुलदेवी श्री जमवाय माता


** कछवाह राजवंश की कुलदेवी श्री जमवाय माता **

आज आपको हम कछवाह राजवंश की कुलदेवी के बारे में बताते है । ।

अयोध्या राज्य के राजा भगवान श्री रामचन्द्र जी के पुत्र राजा कुश के वंशज कछवाह कहलाते है । जिनका राज्य अयोध्या से चलकर रोहताशगढ ( बिहार ) में रहा , वहा से चलकर इन्होने अपनी राजधानी नरवर ( ग्वालियर राज्य ) में बनाई ।

नरवर (ग्वालियर ) राज्य के अंतिम राजा दुलहराय जी ने अपनी राजधानी सर्वप्रथम राजस्थान में दौसा राज्य में स्थापित की , दौसा से इन्होने ढूढाड क्षेत्र में मॉच गॉव पर अपना अधिकार किया जहॉ पर मीणा जाति का कब्जा था , मॉच ( मॉची ) गॉव के पास ही कछवाह राजवंश के राजा दुलहराय जी ने अपनी कुलदेवी श्री जमवाय माता जी का मंदिर बनबाया ।

कछवाह राजवंश के राजा दुलहराय जी ने अपने ईष्टदेव भगवान श्री रामचन्द्र जी तथा अपनी कुलदेवी श्री जमवाय माता जी के नाम पर उस मॉच (मॉची ) गॉव का नाम बदल कर जमवारामगढ रखा
जमवारामगढ में अपना राज्य स्थापित किया । राजा दुलहराय जी के दो पुत्र हुये कॉकिलदेव और वीकलदेव जिसमें कॉकिलदेव जी ने मीणाओ से आमेर का किला छीनकर अपना नया राज्य स्थापित किया । और दुलहराय जी के छोटे पुत्र वीकलदेव जी ने चम्बल नदी के बीहडो से होते हुये मध्य प्रदेश के जिला भिण्ड में इंदुर्खी राज्य में अपनी राजधानी बनाई जो वहा का क्षेत्र जिला भिण्ड में कछवाहघार के नाम से जाना जाता है ।

आमेर के बाद कछवाहो ने जयपुर शहर बसाया जयपुर शहर से ७ कि.मी . की दूरी पर कछवाहो का किला आमेर बना है । और जयपुर शहर से ३२ कि.मी. की दूरी पर ऑधी जाने वाली रोड पर जमवारामगढ है । जमवारामगढ से ५ कि.मी. की दूरी पर कछवाहो की कुलदेवी श्री जमवाय माता जी का मंदिर बना है । इस मंदिर के अंदर तीन मूर्तियॉ विराजमान है , पहली मूर्ति गाय के बछडे के रूप में विराजमान है , दूसरी मूर्ति श्री जमवाय माता जी की है , और तीसरी मूर्ति बुडवाय माता जी की है ,

श्री जमवाय माता जी के बारे में कहा गया है कि ये सतयुग में मंगलाय , त्रेता में हडवाय , द्वापर में बुडवाय तथा कलियुग में जमवाय माता जी के नाम से देवी की पूजा - अर्चना होती आ रही है ।।

** जय श्री जमवाय माता जी **